दिशा और दूरी (Direction and Distance)
Overview
इस लेख में हम रीजनिंग के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय के बारे में जानेंगे - Direction and Distance in Hindi
इस अध्याय में पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार:
- दिशा खोजना
- दूरी का पता लगाना
- दूरी और दिशा दोनों का पता लगाना
अतः, इस अध्याय में आपकी यात्रा की दिशा और दूरी की समझ की जांच की जाएगी।
दिशा (Direction)
दिशा - एक संदर्भ बिंदु के सापेक्ष किसी चीज या व्यक्ति की स्थिति का मापन।
दिशाएं दो प्रकार की हो सकती हैं:
- सापेक्ष दिशा (Relative Direction) - किसी चीज या बिंदु के सापेक्ष किसी चीज की स्थिति।
- परम दिशा (Absolute Direction) - पृथ्वी के उन्मुखीकरण के सापेक्ष किसी चीज़ की स्थिति, यानी भौगोलिक उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम (यहां संदर्भ बिंदु सूर्य होगा)।
उदाहरण के लिए:
एक युगल झील के पास बैठा सूर्यास्त देख रहा है।
वे जिस दिशा की तरफ बैठे हैं वह पश्चिम है (पश्चिम में ही सूर्य अस्त होता है) । तो, उनकी परम दिशा पश्चिम है।
लेकिन एक दूसरे के सापेक्ष उनकी दिशाएं अलग होंगी। पुरुष महिला के उत्तर में है, और महिला पुरुष के दक्षिण में है।
प्राचीन काल में, मानव मुख्य रूप से सूर्य या ध्रुव तारे की स्थिति का उपयोग करते हुए दिशा का पता करता था।
सूर्य दिशा खोजने के लिए सबसे आमतौर से इस्तेमाल किया जाने वाला संदर्भ बिंदु है। हम जानते हैं कि सूर्य पूर्व में उगता है और पश्चिम में अस्त होता है।
आठ दिशाएँ (Eight Directions)
दिशाओं पर आधारित प्रश्नों को हल करने के लिए हमें 8 दिशाओं को जानना होगा।
- चार मुख्य दिशाएँ / प्रधान दिशाएँ हैं - उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम (सूर्य की स्थिति के आधार पर), जैसा कि नीचे दिखाया गया है:
किसी भी दो आसन्न मुख्य दिशाओं के बीच का कोण \(90^o\) होता है।
- चार उप-दिशाएं / कार्डिनल दिशाएं भी हैं — उत्तर-पूर्व (N-E), उत्तर-पश्चिम (N-W), दक्षिण-पूर्व (S-E), और दक्षिण-पश्चिम (S-W)।
किसी भी दो आसन्न उप-दिशाओं के बीच का कोण \(90^o\) होता है।
किसी आसन्न मुख्य दिशा और उप-दिशा के बीच का कोण \(45^o\) होता है।
ये दिशाएं परम दिशाएं हैं, क्योंकि यह सूर्य के सापेक्ष हैं, और किसी व्यक्ति की स्थिति के सापेक्ष नहीं बदलती हैं।
ये आठ दिशाएं पृथ्वी की 2-डी सतह पर हमारे किसी भी संचलन के लिए पर्याप्त होंगी। लेकिन 3-डी संचलन पर आधारित कुछ दुर्लभ प्रश्नों में, हमें ऊपर और नीचे की दिशाओं का भी उपयोग करना पड़ सकता है।
परम दिशा ज्ञात करना (Finding Absolute Direction)
परम दिशा सूर्य के सापेक्ष होती है।
यदि हम उगते हुए सूर्य की तरफ मुँह करके खड़े होते हैं, तो हमारी स्थिति इस प्रकार होगी:
हमारे सामने की ओर दिशा = पूर्व
हमारी पीठ की ओर दिशा = पश्चिम
हमारे बाएं हाथ की ओर दिशा = उत्तर
हमारे दाहिने हाथ की ओर दिशा = दक्षिण
- विपरीत दिशा की अवधारणा
पूर्व पश्चिम के विपरीत है, उत्तर दक्षिण के विपरीत है, उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम विपरीत है, इत्यादि।
यदि कोई व्यक्ति पूर्व की ओर मुंह करके खड़ा है और एक अन्य व्यक्ति उसकी ओर विपरीत दिशा से आ रहा है, तो इसका मतलब यह है कि दूसरा व्यक्ति पश्चिम दिशा की ओर चल रहा है।
Q. यदि A उत्तर की तरफ चेहरा किये खड़ा है, तो उसका बायां हाथ किस दिशा में होगा?
(a) उत्तर-पूर्व (b) उत्तर (c) पूर्व (d) पश्चिम
समाधान:
उत्तर: (d)
Q. यदि A उत्तर की ओर मुंह करके अपने सिर के बल खड़ा है, तो उसका बायां हाथ किस दिशा में होगा?
(a) उत्तर-पूर्व (b) उत्तर (c) पूर्व (d) पश्चिम
समाधान:
उत्तर: (c)
सापेक्ष दिशा ज्ञात करना (Finding Relative Direction)
सापेक्ष दिशा पृथ्वी पर किसी अन्य वस्तु / व्यक्ति / स्थान के सापेक्ष होती है।
नीचे दिखाए गए नक्शे पर एक नज़र डालें:
भोपाल के सापेक्ष दिल्ली किस दिशा में स्थित है?
यहां आपको संदर्भ बिंदु और उस बिंदु के बीच अंतर करना होगा जिस पर हमें अपना ध्यान केंद्रित करना है, अर्थात वह बिंदु जिसकी सापेक्ष दिशा हम खोजने वाले हैं।
प्रश्न चाहता है कि हम संदर्भ बिंदु भोपाल के सापेक्ष दिल्ली की दिशा का पता लगाएं। तो, हमारा जवाब होगा - दिल्ली भोपाल के उत्तर में है। (जाहिर है भोपाल विपरीत दिशा में होगा, यानी दिल्ली के दक्षिण में)
मुंबई के सापेक्ष दिल्ली किस दिशा में स्थित है?
फोकस बिंदु दिल्ली है और संदर्भ बिंदु मुंबई है। तो, हमारा जवाब होगा - दिल्ली मुंबई के उत्तर-पूर्व में है। (जाहिर है मुंबई विपरीत दिशा में होगी, यानी दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम में)
मोड़ की अवधारणा
राइट टर्न / दायाँ टर्न = क्लॉकवाइज़ टर्न
जब कोई व्यक्ति घड़ी की गति की दिशा में एक मोड़ लेता है, तो इस मोड़ को राइट टर्न या क्लॉकवाइज़ टर्न कहा जाता है।
लेफ्ट टर्न / बायाँ टर्न = एंटी-क्लॉकवाइज़ टर्न
जब कोई व्यक्ति एक घड़ी की गति के विपरीत दिशा में मुड़ता है, तो इस मोड़ को लेफ्ट टर्न या एंटी-क्लॉकवाइज़ टर्न कहा जाता है।
इन बिंदुओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए:
- ये दिशाएं व्यक्ति की स्थिति के सापेक्ष बदलती हैं (यानी ये सापेक्ष दिशाएं हैं)।
मोड़ का कोण समकोण (right angle) माना जाता है, अर्थात, \(90^o\) (जब तक प्रश्न में अन्यथा नहीं कहा जाता है).
आइए एक उदाहरण देखते हैं जहाँ एक व्यक्ति पूर्व की ओर चल रहा है:
यदि वह बाईं ओर मुड़ता है, तो वह उत्तर दिशा की ओर बढ़ना शुरू कर देगा।
अगर वह दायीं ओर मुड़ता है, तो वह दक्षिण दिशा की ओर बढ़ना शुरू कर देगा।
यदि वह \(45^o\) दायीं / क्लॉकवाइज टर्न लेता है, तो वह दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर बढ़ना शुरू कर देगा।
यदि वह \(135^o\) (यानी \(90^o\) + \(45^o\)) दायीं / दक्षिणावर्त मोड़ लेता है, तो वह दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ना शुरू कर देगा।
यदि वह \(180^o\) दायीं / क्लॉकवाइज़ टर्न (या बाईं / एंटी-क्लॉकवाइज़ टर्न) लेता है, तो वह पश्चिम दिशा की ओर बढ़ना शुरू कर देगा, अर्थात् विपरीत दिशा में।
यदि वह \(225^o\) (यानी \(180^o\) + \(45^o\)) दायीं / दक्षिणावर्त मोड़ लेता है, तो वह उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ना शुरू कर देगा। यह \(135^o\) बाईं / एंटी-क्लॉकवाइज़ मोड़ लेने के समान है, क्यूंकि \(225^o\) + \(135^o\) = \(360^o\)।
यदि पूर्व की ओर बढ़ने वाला व्यक्ति \(360^o\) दाएँ / दक्षिणावर्त मोड़ लेता है या \(360^o\) बाएँ / एंटी-क्लॉकवाइज़ मोड़ लेता है, तो व्यक्ति उसी दिशा में, अर्थात् पूर्व की ओर बढ़ता रहेगा।
\(360^o\) से अधिक के मोड़ के लिए, हम मोड़ के प्रभावी कोण को प्राप्त करने के लिए टर्न डिग्री से \(360^o\) घटा सकते हैं। उदाहरण के लिए, \(450^o\) दायाँ टर्न ≡ \(450^o\) - \(360^o\) ≡ \(90^o\) दायाँ टर्न।
प्रश्न को जल्द हल करने हेतु कुछ टिप्स
प्रश्न को हल करने के लिए, यह बेहतर है कि आप कागज पर आरेख बनाएं। यह न केवल आपको उत्तर तक जल्दी पहुंचने में मदद करेगा बल्कि आपको मूर्खतापूर्ण गलतियों से बचने में भी मदद करेगा।
प्रश्न में दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कागज पर जितनी जल्दी हो सके आरेख बनाना सबसे अच्छा रहता है, अर्थार्थ प्रश्न पढ़ने के साथ-साथ ही आरेख बनाना प्रारम्भ कर दें| इससे बहुत समय बचेगा| आरेख को पैमाने का प्रयोग करके बनाना आवश्यक नहीं है। बस समझ में आना चाहिए|
सबसे महत्वपूर्ण चीज जो आपको ध्यान में रखनी होगी, वह वो प्रारंभिक दिशा है जिस ओर व्यक्ति चलना शुरू करता है| उसके बाद जैसे-जैसे प्रश्न में लिखा हो वैसे-वैसे चलते जाएं|
यदि प्रारंभिक दिशा के बजाय अंतिम दिशा दी जाती है, तो हम पीछे की ओर चलकर देख सकते हैं।
दूरी (Distance)
दूरी - दो बिंदुओं के बीच की जगह की लंबाई।
दूरियाँ भी दो प्रकार की हो सकती हैं:
- बिंदु A से बिंदु B तक की कुल दूरी।
- बिंदु A से बिंदु B के बीच की सबसे छोटी दूरी। यह आम तौर पर दो बिंदुओं को मिलाने वाली एक सीधी रेखा होगी।
उदाहरण के लिए:
मान लीजिये कि किसी व्यक्ति को मुंबई से दिल्ली जाना है, भोपाल से होते हुए।
व्यक्ति द्वारा तय की गई कुल दूरी = मुंबई और भोपाल के बीच की दूरी + भोपाल और दिल्ली के बीच की दूरी = 775 + 775 = 1550 किमी
लेकिन मुंबई और दिल्ली के बीच की सबसे छोटी दूरी दोनों शहरों को मिलाने वाली सीधी रेखा की लंबाई होगी।
यदि कोई व्यक्ति मुंबई से दिल्ली के लिए सीधी उड़ान से यात्रा करता है, तो उसे केवल 1400 किमी की यात्रा करनी होगी।
अर्थार्थ, हमें इन दोनों में से किसी एक का पता लगाने के लिए कहा जाएगा:
- किसी व्यक्ति या वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी।
- प्रारंभिक और अंतिम बिंदु के बीच न्यूनतम दूरी।
शुरुआती और अंत बिंदु के बीच न्यूनतम दूरी जानने के लिए, हम पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग करते हैं।
पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras theorem)
यह एक समकोण त्रिभुज के तीन भुजाओं के बीच का संबंध है। यह बताता है कि कर्ण का वर्ग (समकोण के विपरीत वाली भुजा) अन्य दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है।
R से Q तक पहुँचने के लिए (या Q से R तक पहुँचने के लिए) RQ (या QR) न्यूनतम या सबसे छोटी दूरी है।
आइए कुछ उदाहरण देखें।
Q. पुनीत उत्तर दिशा में 3 किमी चलता है, फिर दाएं मुड़ता है और 5 किमी चलता है| तद्पश्चात फिर से दाएं मुड़ता है और 9 किमी चलता है। फिर, वह एक बाएं मोड़ लेता है और 3 किमी चलता है। वह शुरुआती बिंदु से कितनी दूर है?
(a) 5 किमी (b) 10 किमी (c) 12 किमी (d) 15 किमी
समाधान:
पुनीत द्वारा चले गए पथ को निम्न प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है: त्रिकोण PQR में, PQ की गणना इस प्रकार की जा सकती है:
PQ² = 6² + 8²
or PQ = √(6² + 8²) = 10 किमी
उत्तर: (b)
Q. मोहन पूर्व की ओर 8 किमी चलता है। फिर, वह दाएं मुड़ता है और 1 किमी चलता है, और फिर से दाएं मुड़कर 5 किमी चलता है। इसके बाद वह बाएं मुड़ता है और 3 किमी चलता है। अपनी यात्रा की शुरुआत से उसने कितनी दूरी तय की है?
(a) 5 किमी (b) 20 किमी (c) 17 किमी (d) 15 किमी
समाधान:
हम आरेख के बिना भी उपरोक्त प्रश्न को हल कर सकते थे, क्योंकि हमें केवल दूरियों को जोड़ना था। इस प्रश्न में दिशा से हमारा कोई मतलब नहीं था| यदि प्रारंभिक और अंतिम बिंदुओं के बीच की सबसे छोटी दूरी का पता लगाना हो, तो आरेख अधिक सहायक होता है।
उत्तर: (c)
comments powered by Disqus