लोक प्रशासन में राजनीति-प्रशासन द्विभाजन (PAD) की संकल्पना क्या है ?

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लोक प्रशासन में राजनीति-प्रशासन द्विभाजन (PAD) की संकल्पना क्या है ?

Overview

इस लेख में हम यूपीएससी परीक्षा से सम्बंधित लोक प्रशासन के राजनीति-प्रशासन द्विभाजन (PAD) विषय के बारे में अध्ययन करेंगे, अर्थात क्या प्रशासन मूल्य-मुक्त है या मूल्य-युक्त है (value-free or value-laden)।

राजनीति-प्रशासन द्विभाजन (PAD) की संकल्पना क्या है?

राजनीति-प्रशासन द्विभाजन (PAD) की अवधारणा कहती है कि राजनीति और प्रशासन पूरी तरह से अलग हैं और इसलिए नौकरशाही पूरी तरह से मूल्य-मुक्त है।

  • निकोलस हेनरी (Nicholus Henry) का पहला प्रतिमान: राजनीति और प्रशासन के बीच सर्जिकल/नैदानिक अलगाव (यह मूल्य-तथ्य द्विभाजन, अर्थार्थ value-fact द्विभाजन के आधार पर किया गया था)।

  • विल्सन का विचार थोड़ा अस्पष्ट था। विल्सन दो विचारों के बीच झूलते नज़र आते हैं:
    I) राजनीति-प्रशासन द्विभाजन।
    II) प्रशासन की नींव राजनीति के गहरे और स्थायी सिद्धांत हैं।

प्रशासन का गैर-राजनीतिक दृष्टिकोण एक राजनीतिक विरोधी दृष्टिकोण में विकसित हुआ है और प्रतिनिधि सरकार के तरीकों को प्रशासन पर भ्रष्ट प्रभावों के रूप में देखता है।
(अर्थात गैर-राजनीतिक दृष्टिकोण (PAD) → राजनीतिक विरोधी दृष्टिकोण)

राजनीति-प्रशासन द्विभाजन को चुनौतियां

चुनौती 1 : FM Marx

FM मार्क्स द्वारा लिखित 'प्रशासन के तत्व' ('Elements of administration' by FM Marx), PAD पर सवाल उठाने वाले पहले प्रमुख कार्यों में से एक था। इसने एक नई सोच का संकेत दिया कि, जो 'मूल्य मुक्त राजनीति (value free politics)' प्रतीत होती थी, वह वास्तव में 'मूल्यों से लदा प्रशासन (value laden administration)' था।

चुनौती 2 : पूछे गए कुछ प्रश्न

• क्या बजटीय आधार पर किया गया तकनीकी निर्णय या कार्मिक परिवर्तन वास्तव में अवैयक्तिक और अराजनैतिक था?
• प्रशासक नीति निर्माण और नीति राजनीति में भाग लेते हैं, साथ ही इसके प्रभाव का मूल्यांकन भी करते हैं।

चुनौती 3

इस बिंदु पर जोर दिया गया: लोक प्रशासक भी एक प्रकार का सार्वजनिक नेता था।

PAD की अस्वीकृति को बढ़ा-चढ़ाकर बताना (राजनीतिक सेवा पर दोष)

1940 के दशक में 'राजनीति-प्रशासन द्वंद्ववाद' के बौद्धिक परित्याग को हाल के वर्षों में कुछ ज्यादा ही बड़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है, क्योंकि इसके परित्याग की वकालत करने वालों का यह तर्क कभी नहीं था कि 'प्रशासन' और 'राजनीति' पूरी तरह से अविभाज्य थे (अर्थात वे कुछ हद तक अलग-अलग भी हैं)। 1940 के दशक में व्यवहारवादियों (Behaviourists) ने PAD की धारणा को नष्ट कर दिया। लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि प्रशासन राजनीति है। 'प्रशासन' और 'राजनीति' को पूरी तरह से अविभाज्य करार देना (अर्थार्थ उनका फ्यूजन करना) राजनीतिक वैज्ञानिकों की करतूत थी।

लेकिन फ्यूजन प्रशासनिक नैतिकता के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे की इसकी वजह से नौकरशाही की गुमनामी और तटस्थता (anonymity and neutrality) से समझौता किया जाएगा। इसलिए PAD को छोड़ने को कभी भी इस स्वीकृति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए कि सभी प्रशासनिक कार्य 'राजनीतिक' रूप से पक्षपातपूर्ण होते हैं या भ्रष्ट होते हैं।

इससे अधिक संतुलित दृष्टिकोण यह मानता है कि सभी प्रशासनिक कृत्यों/निर्णयों में एक मूल्य घटक (value component) होता है, जो आवश्यक रूप से राजनीतिक नहीं होता है, बल्कि इसके बजाय मानवीय मूल्यों (अलग-अलग डिग्री में) और पेशेवर नैतिकता को प्रतिबिंबित कर सकता है।

इससे केवल यही पता चलता है कि राजनीति-प्रशासन संबंधों पर विचार करते समय चरम सीमाओं से बचना चाहिए। शत-प्रतिशत राजनीति-प्रधान दृष्टिकोण उतना ही बुरा है, जितना कि शत-प्रतिशत राजनीति-बहिष्कृत दृष्टिकोण|

निष्कर्ष

राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों के बीच कुछ गोधूलि क्षेत्र (twilight zones) हैं, लेकिन यह राजनीति और प्रशासन के बीच के अंतर को धुंधला करने का कोई बहाना नहीं है।
politics-administration-dichotomy in Hindi

आज यह समझ बढ़ रही है कि जहाँ एक तरफ राजनीति और लोक प्रशासन का क्षेत्र कभी भी पूरी तरह से अलग नहीं हो सकता है (अर्थात वे एक दूसरे से लगातार और अनिवार्य रूप से अलग नहीं हैं) और वे एक ही सातत्य (continuum) पर पाए जाते हैं, फिर भी वे उस सातत्य के विपरीत छोर पर हैं, बीच में कुछ गोधूलि क्षेत्र के साथ।

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