लोक सेवाओं में मूल्य (Values in Public Services)

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लोक सेवाओं में मूल्य (Values in Public Services)

Overview

इस लेख में हम UPSC परीक्षा से सम्बंधित, लोक प्रशासन (Public Administration) के एक महत्पूर्ण विषय पर प्रकाश डालेंगे - लोक सेवाओं में मूल्य (Values in Public Services), in Hindi

भारत जैसे बहुल देश में, जिसमें सिविल सेवा विविध और प्रतिस्पर्धी हितों और ताकतों के बीच फंसी हुई है, एक मूल्य उन्मुख (value oriented) लोक सेवा अनिवार्य है।

भारत में मूल्य उन्मुख लोक सेवा की आवश्यकता क्यों है?

आइये, यह जानते हैं की भारत में मूल्य उन्मुख लोक सेवा की आवश्यकता आखिर है क्यों|

  • बहुल समाज (अनेकता में एकता)
  • राजनीतिक व्यवस्था में अस्थिरता
  • बड़ी संख्या में गरीबी और जरूरतें
  • सच्चे लोकतंत्र की प्राप्ति का संकल्प - अमर्त्य सेन के अनुसार 'एक कार्यरत लोकतंत्र में कोई अकाल नहीं पड़ सकता'।
  • संवैधानिक अनिवार्यताओं की प्राप्ति

तो, हमने यह जान लिया कि लोक सेवा में मूल्यों की आवश्यकता है| पर यह मूल्य कैसे होने चाहियें?

लोक सेवा में क्या मूल्य होने चाहियें ?

मोटे तौर पर निम्नलिखित मूल्यों को लोक सेवा में आत्मसात किया जाना चाहिए, और सावधानीपूर्वक इनको बढ़ावा दिया जाना चाहिए:

  • कानून के शासन का सम्मान
  • ईमानदारी का उच्चतम मानक - लोक सेवक को आदर्श नागरिक होना चाहिए
  • तटस्थता (Neutrality)
  • लोक सेवा एक सेवा के रूप में देखी जानी चाहिए, न कि केवल एक करियर के रूप में
  • धर्मनिरपेक्ष/गैर-सांप्रदायिक मानसिकता
  • कमजोर वर्ग के लिए सहानुभूति - ग्रामीण इलाकों और लोगों के प्रति अधिक संवेदनशीलता और प्रेम
  • वैज्ञानिक स्वभाव

इन मूल्यों को एक पेशेवर आचार संहिता के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है| यानि, यह सिर्फ कागज़ पर नहीं बल्कि कार्यों में प्रतिलक्षित होने चाहियें|

इनमें से कुछ को सिखाना तो संभव है, लेकिन सभी को नहीं। इसलिए भर्ती और कार्मिक प्रबंधन पर प्रभावी ध्यान देने की जरूरत है।

भारतीय प्रशासन में आचार संहिता / मूल्य

परिभाषा : सिविल सेवकों के व्यवहार को निर्देशित करने के लिए सरकार द्वारा तैयार किए गए मानकों (क्या करें और क्या नहीं) को आचार संहिता (code of conduct) कहा जाता है।

आचार संहिता की प्रकृति:

  • इसमें निहित मूल्यों का एक समूह (set of values) है, जिससे मानदंड (norms) प्राप्त होते हैं।
  • ऐसे मूल्य संवैधानिक दस्तावेजों से प्राप्त होते हैं। (इसलिए यह अलग-अलग देशों में अलग-अलग होंगे)
  • पेशे के रूप में सिविल सेवाओं से ऐतिहासिक रूप से जुड़े मूल्यों का भी एक समूह है। (इसलिए यह अलग-अलग देशों में कुछ हद तक एकरूप भी होगा)
  • संकट के समय किसी प्रशासक की सहायता करें, अर्थात आपदा प्रबंधन में मदद करें।
  • संहिता के उल्लंघन के लिए सजा का प्रावधान। किसी को दोहरे दंड (double jeopardy) के आधार पर संरक्षित नहीं किया जाएगा।
  • आंतरिककरण (internalized) करने पर आचार संहिता सबसे अधिक प्रभावी होगी। 'स्व-नियमन (self-regulation)' सबसे अच्छा विनियमन (regulation) है।

आचार संहिता के पहलू

अब आइये आचार संहिता के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं|

राजनीतिक आचरण

  1. तटस्थता:
  • तर्कसंगत सलाह
  • प्रतिबद्धता के साथ नीतियों को लागू करें।
  • सीधे राजनीति में भाग नहीं ले सकते। (फ्रांस एक अपवाद है)
  1. गुमनामी:
  • आम गुमनामी
  • सेवा संघ बना सकते हैं लेकिन सामान्य ट्रेड यूनियन आंदोलन में शामिल नहीं हो सकते।
  • हड़ताल नहीं कर सकते।

आर्थिक आचरण

  • कोई अन्य लाभकारी रोजगार नहीं कर सकते। सेवानिवृत्ति के दो साल के भीतर एक निजी फर्म में रोजगार के लिए, उन्हें सरकार की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता होती है।

  • अवैध संतुष्टि से दूर रहें, अर्थार्थ रिश्वत, उपहार, इत्यादि।

  • राष्ट्रीय संसाधनों के उपयोग में अपव्यय से बचें।

सामाजिक आचरण

  • सिविल सेवकों से समाज में नेतृत्व की भूमिका की अपेक्षा की जाती है, और इसलिए उन्हें व्यक्तिगत और सामाजिक आचरण के मानक स्थापित करने की आवश्यकता होती है।

  • कमजोर वर्गों का हित हमेशा जेहन में होना चाहिए|

  • मानवाधिकारों का सम्मान करें।

  • संकीर्ण विचारों से ऊपर उठें|

प्रशासनिक आचरण

  • प्रशासनिक जानकारी का खुलासा न करें|

  • अपनी शक्ति का दुरूपयोग न करें।

आचार संहिता के लाभ

  • संकट की स्थिति में उनका मार्गदर्शन करती है। आचार संहिता कुछ गैर-क्रमादेशित स्थितियों (non-programmed situations) को क्रमादेशित स्थितियों में बदल देती है।

  • सार्वजनिक सेवाओं में एकरूपता प्रदान करती है, और टीम भावना (espirit de corps) की ओर ले जाती है| यह बहु जातीय समाजों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

  • सिविल सेवा केवल एक उपजीविका (occupation) नहीं है, बल्कि एक पेशा (profession) है और इसके लिए कोई कोड आवश्यक है। यह सिविल सेवकों में सही दृष्टिकोण विकसित करता है, जैस की सेवा का।

  • अनुशासन लाती है।

  • प्रदर्शन मूल्यांकन (performance appraisal) के दौरान उपयोगी मानदंड है।

क्या आचार संहिता में कुछ बदलाव जरूरी हैं ?

आचार संहिता प्रकृति में गतिशील है। इसलिए इसमें कुछ बदलाव होते रहने चाहियें - समाज, और देश की महत्वाकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए| इनमें से कुछ नीचे सुझाये गए हैं:

  • सुशासन (Good Governance) के तहत, मानव अधिकार (Human Rights) एक महत्वपूर्ण पहलू है - भागीदारी पर ध्यान दें (जैसे बॉटम अप प्लानिंग)। इसलिए, लोकतांत्रिक नेतृत्व (democratic leadership) की आवश्यकता है।

  • सूचना की स्वतंत्रता का अधिनियम (Freedom of information act)। यह गोपनीयता के बजाय पारदर्शिता को महत्व देता है।

  • N.P.M के तहत गुमनामी (anonymity) को व्यक्तिगत जवाबदेही (personal accountability) से बदला जा रहा है।

  • उद्यमी सरकार (Entrepreneurial Government) के तहत, समुदाय को सेवाओं देने के कार्य को लाभ अभिविन्यास (profit orientation), या सेवाओं के लिए कम से कम लाभकारी शुल्क के साथ पूरक करने की आवश्यकता है।

  • निष्पक्षता (Neutrality) को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता है, ताकि पार्टी की नीतियों को बाहर रखा जा सके। यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि नीतियों के प्रति प्रतिबद्धता, तटस्थ सिविल सेवा के साथ असंगत नहीं है।

  • उद्यमी सरकार (Entrepreneurial Government) के तहत, नियम और विनियमों का बस ईमानदारी से पालन करने की अपेक्षा को, परिणाम अभिविन्यास (result orientation) द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है।

  • सिविल सेवकों को संवैधानिक संरक्षण: अनुच्छेद 311 और 310 को निरस्त किया जाना चाहिए। जनहित में की गई लोक सेवकों की वास्तविक कार्रवाई की रक्षा के लिए अनुच्छेद 309 के तहत सेवाओं के सभी आवश्यक नियम और शर्तें प्रदान की जानी चाहिए।

  • नागरिक पहल: सेवा के स्तर को निर्धारित करके नागरिक चार्टर को प्रभावी बनाया जाना चाहिए, और इन सेवाओं के स्तर को पूरा नहीं करने पर उपाय भी किया जाना चाहिए। महत्वपूर्ण सरकारी संस्थानों और कार्यालयों में नैतिकता के मूल्यांकन और रखरखाव में नागरिक शामिल किये जा सकते हैं।

  • विवेकाधिकार (Discretion) को कम करना: सार्वजनिक संपर्क रखने वाले सरकारी अधिकारियों को अपनी गतिविधियों की समीक्षा करनी चाहिए, और उन गतिविधियों की सूची बनानी चाहिए जिनमें विवेकाधिकार का उपयोग शामिल है।

  • ईमानदार सिविल सेवकों की रक्षा करना: किसी लोक सेवक के खिलाफ, शिकायतों के माध्यम से या जांच एजेंसी द्वारा तैयार किए गए स्रोतों से प्राप्त, भ्रष्टाचार के हर आरोप की औपचारिक जांच शुरू करने से पहले, प्रारंभिक चरण में ही गहराई से प्रारंभिक जांच की जानी चाहिए।

भारतीय प्रशासन में गलत मूल्य

'आराम की संस्कृति' ('culture of aaraam'): भारतीय प्रशासन में कई जगह 'आराम की संस्कृति' और 'चलता है' मनोवृत्ति घर कर गयी है| यदि किसी कार्यालय में संस्कृति-मूल्य हैं, तो इसका मतलब होता है कुशल प्रशासन|

जैसे की, गीता, जैन धर्म, बौद्ध धर्म (जापान में), USA, जर्मनी, जैसे कुछ पश्चिमी देशों में प्रोटेस्टेंट नैतिकता (Protestant ethics)

नोट

वोल्टेयर - कार्य, मानव जीवन से 3 बड़ी बुराइयों को दूर करता है।

  • नीरसता (Boredom)
  • बुराइयां (Vice)
  • गरीबी

भारतीय लोक सेवा में गलत मूल्यों/संस्कृति के कारण/स्रोत

  • ऐतिहासिक – प्रशासन में ब्रिटिश और सामंतवादी सोच, अर्थार्थ अभिजात्यवाद (elitism), अलगाव आदि| अर्थार्थ, सेवा मूल्य की कमी।

  • समाजीकरण के संस्थानों के प्रकार - परिवार, समुदाय सामंतवादी विचारधाराओं को जन्म देते हैं। स्कूल, कॉलेज, पश्चिमी प्रणाली (गैर पारिस्थितिक) के आधार पर, समाज को धर्म से अलग करते हैं, और इसलिए इसे बहुत आवश्यक सामाजिक और सांस्कृतिक ज्ञान से वंचित करते हैं।

  • राजनीतिक व्यवस्था का प्रकार - 'चलता है' संस्कृति ने लोक सेवकों को राजनेताओं की अनैतिक मांगों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया और इसलिए कार्य संस्कृति (मूल्यों) का ह्रास हुआ।

  • छुट्टियों, हड़तालों की संस्कृति।

  • कर्मचारी योगदान के बजाय 3 Ps (वेतन, पदोन्नति और संभावनाओं / pay, promotion & prospects) पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे दबाव समूह (pressure groups) के रूप में काम करते हैं और राज्य आम तौर पर इनकी मांगों को स्वीकार करता है। इससे गलत संस्कृति का जन्म होता है।

सुझाव

  • प्रशासनिक सुधार होना चाहिए|

  • मास्लो (Maslow) के अनुसार, सम्मान और सामाजिक जरूरतों (esteem & social needs) का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, यानी लोकतांत्रिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध, योग्यता आधारित पदोन्नति, पुरस्कार आदि।

  • हर्ज़बर्ग (Herzberg) के अनुसार, शारीरिक वातावरण काम के लिए अनुकूल होना चाहिए, जैसे कार्यालय स्थान प्रबंधन और फ़ाइल प्रबंधन प्रणाली (सेंट्रल फाइल लाइब्रेरी, डिजिटल फाइल, फाइल ट्रैकिंग सिस्टम), आदि|

  • सही प्रकार का नेतृत्व।

  • न्यायिक सक्रियता (Judicial activism), सार्वजनिक मीडिया / मास मीडिया, RTI, सिटीजन चार्टर (Citizen Charter)

  • सूचान प्रौद्योगिकी (Information Technology - I.T.) का इस्तेमाल

  • उदारीकरण (Liberalization)

  • सामाजिक मानसिकता को बदलने की जरूरत है (जैसे हकीम-बाबू संस्कृति)। यहां नागरिक समाजों (civil societies) की भूमिका अहम है।

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